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सोमवार, 12 सितंबर 2011

मैं हर लम्हा-लम्हा तेरा हूँ !

भूल हुई अब छोडो भी !
खुशियों से रिश्ता जोड़ो भी !!

मैं हर लम्हा-लम्हा तेरा हूँ !
काली रातों के बाद सवेरा हूँ !!
तुम चाहो जी भरके मुझको!
बांध-अंक रक्खूँगा तुमको!!
तेरी ही साँसों से जीवन चलता है! 
तेरे कोमल स्पर्शो से गुलशन खिलता है!!
तुम मेरे दिल कि  धडकन हो प्रिये !
बिन तुम्हारे बोलो कैसे  कोई  जिए?!!
अब प्रीत प्यार की बातें हों !
बस ! मधुमासों की रातें हों !!
अब आँख मिचौनी छोडो भी ! 
बांह पसारे खड़ा हुआ अब दौड़ो भी!!.....रमेश घिल्डियाल  

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