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सोमवार, 19 मार्च 2012

मै अकेले  ..
बैठा  हूँ  ..निर्विकार  औ  रीता  सा
प्रकाश  उर्जित  करता  मुझको ,
 दुःख  लगता  अब  बीता  सा ...

 छुपे  हुए  मेरे  एह्सास ,
 मेरे  मनोभाव  निराश !
जिन्दा  रहने  को  शंघर्ष  जरुरी  है
 मेरे सपनो  को  कुचल रही  ये  दुनिया ,
 इससे  पार,  हर  बार,  प्यार  जरुरी  है .
 मै अपने होने का एहसास कराना चाहता हूँ
 जिन्दा था उनकी  यादों में,  रहना चाहता हूँ .

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