मै अकेले ..
बैठा हूँ ..निर्विकार औ रीता सा
प्रकाश उर्जित करता मुझको ,
दुःख लगता अब बीता सा ...
छुपे हुए मेरे एह्सास ,
मेरे मनोभाव निराश !
जिन्दा रहने को शंघर्ष जरुरी है
मेरे सपनो को कुचल रही ये दुनिया ,
इससे पार, हर बार, प्यार जरुरी है .
मै अपने होने का एहसास कराना चाहता हूँ
जिन्दा था उनकी यादों में, रहना चाहता हूँ .
बैठा हूँ ..निर्विकार औ रीता सा
प्रकाश उर्जित करता मुझको ,
दुःख लगता अब बीता सा ...
छुपे हुए मेरे एह्सास ,
मेरे मनोभाव निराश !
जिन्दा रहने को शंघर्ष जरुरी है
मेरे सपनो को कुचल रही ये दुनिया ,
इससे पार, हर बार, प्यार जरुरी है .
मै अपने होने का एहसास कराना चाहता हूँ
जिन्दा था उनकी यादों में, रहना चाहता हूँ .
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