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मंगलवार, 13 मार्च 2012

ये सूरज भी तेरा है ये चंदा भी तेरा है
तेरी ही गलियों में खुशियों का बसेरा है!!

जिनकी तकदीर में तड़प लिक्खी है विधाता ने,
वो दोस्त भी तेरा है दुश्मन भी तेरा है !!

तेरे गुलाबी गालों तक न पहुंचे ये तपिश ,
हाथों में थमा ये शोला, सुख सुनेहरा है !!
कोई यूँ ही न चुरा ले तुमको हमसे ए सखी,
तेरे दर-ओ- दीवार पे निगाहों का पहरा है !!

तुम्हे पाने को बेताब रहता है जो अक्सर,
किसी की जागीर नहीं, छोटा सा घर मेरा है !!

बबूल ही सही, कोई तो पूछे ए नमकपाश!
ये वो पेड़ है जिसपे नन्ही चिड़ियों का बसेरा है!!

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