Ramesh GhildiyalGunjan Agrawal
न तेरी अंतहीन पुकार
न तेरा अंतहीन इन्तेजार
चल पगली! क्यूँ रोती है तू?
क्यूँ मोती-आंसू खोती है तू?
तेरा मेरा रोज मिलन हो जाता है
जब धरती का हर बच्चा सो जाता है
फिर तू क्यूँ इतना उदास होती है
तू हरदम ही तो मेरे पास होती है .....
सच मानो! निराशा में ही तो आस होती है ...
तुम्हारा अपना सूर्य!!!..
मैं निस्तेज न तुझको होने दूंगा...
अब और न तुझको रोने दूंगा न तेरी अंतहीन पुकार
न तेरा अंतहीन इन्तेजार
चल पगली! क्यूँ रोती है तू?
क्यूँ मोती-आंसू खोती है तू?
तेरा मेरा रोज मिलन हो जाता है
जब धरती का हर बच्चा सो जाता है
फिर तू क्यूँ इतना उदास होती है
तू हरदम ही तो मेरे पास होती है .....
सच मानो! निराशा में ही तो आस होती है ...
तुम्हारा अपना सूर्य!!!..
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