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सोमवार, 17 अक्तूबर 2011

अश्रु! मेरे नैनो के तटबंध न तोड़ो,

अश्रु! मेरे नैनो के तटबंध न तोड़ो, 
रुक जाओ! पलभर को बहना छोडो!! 
आज  कोई मेरे मन को दीप्त करे ?
तुमने जिसके अबतक ढेरों गीत हरे!!

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