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सोमवार, 11 जुलाई 2011

मंजिल-ओ-मुकाम करते हैं हासिल मुस्तैदी से चलने वाले
गर्व से सर उठा सकते नहीं, फेंके टुकड़ों पर पलने वाले 
कर्म पर विस्वास करते हैं, बिगड़ी तक़दीर बदलने वाले
राह सरल बना जाते हैं, खुद काँटों पर चलने वाले .........

3 टिप्‍पणियां:

  1. क्या बात है - बहुत खूब

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  2. कर्म पर विस्वास करते हैं, बिगड़ी तक़दीर बदलने वाले
    राह सरल बना जाते हैं, खुद काँटों पर चलने वाले...
    बहुत सुन्दर और सटीक पंक्तियाँ! बढ़िया लिखा है आपने!

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