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रविवार, 1 मई 2011

मई दिवस पर ...

अब लड़कर अपने अधिकार मिले तो प्रेम कहाँ रह जाता है ? 
भ्रष्ट व्यवस्था में श्रमिक बोलो सम्मान  कहाँ से पाता  है?
चापलूस, नाकारा को श्रेष्ट श्रमिक का सम्मान मिले !
मेहनतकश ईमानदार यहाँ हर स्तर पर दुत्कारा जाता है!

5 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत गहरी और सच्ची बात कही है आपने.......

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  2. bahut sahee kahaa aapne...
    steek alfaaz,,,,
    saarthak abhivyakti ... !

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  3. सच्चाई को उजागर करती - कम शब्दों में बड़ी बात

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  4. बहुत बढ़िया और सटीक लिखा है आपने!
    टिप्पणी देकर प्रोत्साहित करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com/

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