मन का पंछि आज़ाद हुआ रे
तोड़ के दैहिक कारा को!...
रोये कोई एक अकेला
या रोता जग सारा हो!!
पिंजरे के अन्दर की दुनिया
आहें भरना, घुट-घुट मरना
फिर भी पिंजरा प्यारा रे..
मन का पंछी आज़ाद...!!
पिंजरे-औ-पिंजरे के नाते
सभी धरा पर रह जाते !
हो कोई दुश्मन या..
कोई हो प्यारा रे...!!
मन का पंची आज़ाद हुआ रे तोड़ के दैहिक कार को...
बहुत खूब ....
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें !
Please remove word verification, it serve no purpose !