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शुक्रवार, 15 अप्रैल 2011

Kuchu Muktak...Kuchh sherr

ये उदास कोनो में बैठे हुए लोग
जिंदगी से अपनी रूठे हुए लोग
बड़ी मजबूती से जुड़े होते है
ये भीतर से टूटे हुए लोग......

लोग हर बार नई तस्वीर बदल देते हैं
लोग हर बार अपनी तकदीर बदल देते हैं!
हर बार काँप जाता हूँ मैं, सिर्फ 
इरादे ही बदल पता हूँ मैं ..........


  
रौशनी का जलता हुआ दिया,
या, आरजुओं भरा दिल ?
बुझता चराग मुफलिस सा,
या, ख़त्म होती महफ़िल ?




मेरी आरजुओं को मंजिल न मिली,
मेरी तमन्नाओं की कश्ती को साहिल न मिला!
क़त्ल करके मेरे मासूम अरमानो का,
कातिल कहता है के कातिल न मिला!!


1 टिप्पणी:

  1. कमाल की संवेदनशीलता लिए हो भाई ... आज के इस प्रस्तर युग में आप जैसों द्वारा सन्देश पंहुचाना बहुत आवश्यक है !
    शुभकामनायें !

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