तुमने कुछ ऐसा कहा
की
मुझे बुरा लगा ,
तुमसे मेरा कोई नाता नहीं
फिर भी
बिन तुम्हारे रहा जाता नहीं!
कुछ यादें.....
यूँ दिल से चिपकी हैं..
की छोडती ही नहीं
परेशानियाँ .. अब तक
सुखों को निचोड़ती रही!
खुशियों ने दामन ही कब थामा था?
उनकी न कहो
उन्हें तो जाना था..
अबके बरसात में कुछ
नयापन सा है
पहाड़ियां नीली हरी क्यूँ हैं?
मौसम में
बांकपन सा है!
शाम की धूप शीशे जलाती है
खिडकियों के
कहकहे लगाते है झुण्ड
लड़कियों के
फूलों के हार पहने काँटों की बस्ती है!
फूलों के हार पहने काँटों की बस्ती है!!!
की
मुझे बुरा लगा ,
तुमसे मेरा कोई नाता नहीं
फिर भी
बिन तुम्हारे रहा जाता नहीं!
कुछ यादें.....
यूँ दिल से चिपकी हैं..
की छोडती ही नहीं
परेशानियाँ .. अब तक
सुखों को निचोड़ती रही!
खुशियों ने दामन ही कब थामा था?
उनकी न कहो
उन्हें तो जाना था..
अबके बरसात में कुछ
नयापन सा है
पहाड़ियां नीली हरी क्यूँ हैं?
मौसम में
बांकपन सा है!
शाम की धूप शीशे जलाती है
खिडकियों के
कहकहे लगाते है झुण्ड
लड़कियों के
दिन भर की थकान को
दूर करती लगती मस्ती हैफूलों के हार पहने काँटों की बस्ती है!
फूलों के हार पहने काँटों की बस्ती है!!!
yhi jzbaat hain jnaab alfazon me jzbaat ko pironaa koi aap se sikhe mubark ho jnaab . akhtar khan akela kota rajsthan
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