भाई सतीश सक्सेना जी ने रुला दिया और आंसू यूँ बह निकले......
दिल जार-जार रोता है
दिल जार-जार रोता है
जब कोई छुटपन
में अपनी माँ खोता है!.................................
में अपनी माँ खोता है!.................................
माँ तो बस माँ होती है ...
बच्चे को सूखे में रख खुद गीले में सोती है
माँ तो बस माँ ही होती है ........
जब सबके गले-गले तक भर जाता
तब चाट कढ़ाही सोती है...
माँ तो बस माँ ही होती है .........
माँ तो बस माँ ही होती है .........
थपकी देकर हमें सुलाती,
खुद चुपके-चुपके रोत्ति है ...
माँ तो बस माँ होती है ...
माँ तो बस माँ होती है ...
लाख अभावो में जीती है ,
और अपमानो को पीती है.
पल्लू के कोने में 'एक अठन्नी' बांधे,
बच्चो में उम्मीदों को जीती है ...
माँ तो बस माँ ही होती है ...
माँ तो बस माँ ही होती है ...
........उम्मीदें जब परवान चढ़ें......
उम्मीदें तो पंख पसारे ...
बहुओं को लेकर आती हैं.
बहुएं उन पंखो पर उम्मीदों को
दूर...देश ले जाती हैं.......
औ कंठों पर अटकी साँसे ..
अपनों की बाटे जोहती हैं .....
माँ तो बस माँ ही होती है .....
माँ तो बस माँ ही होती है .....
झुर्राती - मुरझाती आसे .....
उखड-उखड औ अटक-अटक
कर चलती साँसें .....
रुक जाती हैं ............
बाट जोहती आँखें सालों से ..
झुक जाती हैं....
कल तक जो आँगन में उम्मीदों की
पौध सींचती ....
पौध सींचती ....
दूर गगन में धुआं-धुंआ सा खोती है ...
माँ तो बस माँ ही होती है .
माँ तो बस माँ ही होती है .
उखड-उखड औ अटक-अटक
जवाब देंहटाएंकर चली साँसें .....
रुक जाती हैं ............
बाट जोहती आँखें सालों से ..
झुक जाती हैं....
कल तक जो आँगन में उम्मीदों की
पौध सींचती ....
दूर गगन में धुआं-धुंआ सा खोती है ...
माँ तो बस माँ ही होती है .
माँ से जुड़े हर शब्द माँ की ही तरह पवित्र होते हैं ....
सार्थक कविता ....
कृपया फॉण्ट का रंग बदल लिया करें ...
शब्द दिखलाई नहीं पड़ते ....
माँ की ममता का क्या कहना..अद्भुत चित्रण किया आप ने..
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाइयाँ इस सुन्दर रचना के लिए..
माँ का आज कल एक दूसरा रूप प्रासंगिक हो रहा है इस कलयुग में..
हिंदी कविता-कुछ अनकही कुछ विस्मृत स्मृतियाँ /Ashutosh Nath Tiwari: माँ से कुछ सवाल-एक अनाथ के
बहुत संवेदनशील हो भैया ... माँ के प्रति यह प्यार, अनुकरणीय है !
जवाब देंहटाएंमाँ तो बस माँ ही होती है ....
जो इसका प्यार नहीं जान सका उन्हें प्यार शब्द का आनंद ही नहीं पता और जिसे यह मिल गया ...वह सराबोर हो गया !
आपकी कविता दिल से निकली है अतः ह्रदय को छूने में समर्थ है ...आप अपना सन्देश देने में समर्थ रहे हैं !
शुभकामनायें !