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सोमवार, 28 मार्च 2011

Aag..AAag aur Aag......

पहाड़ में इन दिनों चारों ओर जहां जंगलात महकमे की लगाईं आग से वन और वन्य प्राणियों की शामत आ गई है वहीँ प्रकृति ने पहाड़ की खुबसूरत वादियों को अपनी लालिमा से और भी हसीं बना डाला है.....
           पहाड़ों पर पूरे जंगल "बुरांश"  की खूबसूरती से सराबोर हैं. आप प्रकृति प्रेमी हैं तो निकल पढ़िए ऊंचे पहाड़ों की ओर.......... सतपुली से बांग्घाट- कांसखेत - पौड़ी रूट पर "अद्वानी" का जंगल अपने सघन 'बांज', 'बुरांश' और 'चीड' (पाइन) भालू  और बाघ के लिए प्रसिद्द है. आजकल यहाँ सभी प्रजाति के पेड़ - पौधों पर बहार लदी पड़ी है.    और इन सब में ज्यादा मस्त दिखाई दे रहे है "बुरांश" के लाल फूलों से आच्छादित हरे-भरे जंगल...
      सड़क के दोनों ओर बड़े- बड़े लाल अन्गारों की तरह चमकते "बुरांश" के फूलों से लदे पेड़..  यकीन जानिए 40-50 की गति से अपनी यामाहा ऍफ़ जेड 16 पर सरपट दौड़ते हुए बरबस ही मदमाते बुरांश की आभा ने मेरे मन के साथ ही गाडी पर भी ब्रेक लगा दिया.. और जनाब! बैग से अपना तैयार हेंडी केम निकाला और जैसा भी सूट किया बिना काट-छांट के आपके सामने रख रहा हूँ ...........    तीन लड़के जो पौड़ी से इसी खूबसूरती को देखने आये थे कैमरा देख कर फोटो खिचवाने चकले आये .........   आखिर में आपको जंगल में वनकर्मियों द्वारा सुबह लगाईं गई आग का शाम तक बदल गया रूप दिखाई देगा ..      जबकि वन की सूखी घास-पात को खत्ते में इकटठा  कर जलाने का आदेश है. और ...    जब तक वो बुझती नहीं कर्मी वहां से जा नहीं सकता ..... अब उच्चअधिकारी ही बताएं वनाग्नि से पर्यावरण,जैव विविधता और स्थानीय परिवेश को होने वाले नुक्सान का सही माईनो में मुजरिम कौन? ....
साथ ही अन एडिट विडिओ भी है.........इसमें पहाड़ में काम पर आदमी की जगह, धुंआ उगलती जे सी बी भी मौजूद है..
                                                          रमेश घिल्डियाल

                                        

2 टिप्‍पणियां:

  1. aadrniy rmesh bhaai aadaab aapke jzbat vnon ke prti smrpn or qaanun ki jankaari nishcit tor par agr likha jata rhaa to srkar or vnon ke dushmnon ko sochne par mjbur hona pdhegaa nye blog ke liyen bdhaai . akhtar khan akela kota rajsthan

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  2. Janaab Akhtar saheb, Aapka shukriya ki aap ne padhha aur badhai ke lie bhi ...Aap ki rah par chal pade hain...Manzil-o-mukaam ki parwah kise?
    kaam apne karte rahenge ab anjaam ki parwah kise....

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