कुल पेज दृश्य

रविवार, 9 अक्तूबर 2011

कितना दृढ विश्वास तुम्हारा ..

कितना दृढ विश्वास तुम्हारा ..
जैसे मादक एहसास हमारा ..
तेरे हर सपने में रंग भरने का 
वादा जीने औ संग मरने का ...
मेरा वजूद तो तुमसे है  प्रिये !
खुशियों के पल हमने जो साथ जिए !

उन मीठी यादों को ताज़ा करने  का 
भीगी पलकों संग तेरा प्यारा बंधन 
मेरे माथे पर तेरी ऊँगली से चन्दन ...
अब भी मुझ पर अटूट प्रेम का भोलापन 
जीवन के  सब दुःख - कांटे नंदन  वन  
मैं अब  भी तेरी साँसों  में  ही  बसता हूँ 
तेरी ही खातिर रोज़ नया प्रेमगीत रचता हूँ .......

2 टिप्‍पणियां: