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रविवार, 10 अप्रैल 2011

kramash........

कांपती लहरों पर
ठिठुरता दीपक
थरथराती लौ,
जल के ताल पर फूल
कोट के कॉलर पर कांटआ,
इस जेब में छुरा, उसमें रिवाल्वर और..
इस जेब में त्रिशूल.................
इधर हर-हर उधर अल्ला हो अकबर और..
वहां सत श्री अकाल,
जीवन..टूटी खटिया..सड़ता तख़्त..हिलती चूल.....................                          

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